जनता और मंहगाई

🌹🌹जनता  और महगाई 🌹🌹

चीजों के बढ़ते भावों ने।
नेता के झूठे दावों ने।
सब कुछ चौपट कर डाला।
कैसा ये गड़बड़ घोटाला।
जनता बनी बेचारी है।
जीने की लाचारी है।
सब कुछ सहने को मजबूर।
बेबस रहने को मजबूर।
केरोसिन भी बंद हो गया।
कपड़ों में पैबंद हो गया।
मुफ़्त अनाज तो मिल जाता।
पल भर को चेहरा खिल जाता।
पर मुस्किल बड़ी पकाएं कैसे ।
गैस के चूल्हे जलाएं कैसे।
सिलिंडर भी अब हजार हो गया।
घरवाला बेरोजगार हो गया।
अब रोटी भी पाएं कैसे।
मुफ्त का बॉटल भराएं कैसे।
हे ईश्वर अब तू ही सहारा।
है केवल तू पालन हारा।
काश मैं भी नेता होता।
जनता से ही लेता होता।
झूठे सपने रोज दिखाता।
वादों से अपने भरमाता।
जब चुनाव की बेला आती।
तब रैली क्या रेला आती।
 सोच सोच मन है हैरान।
क्यों मंहगाई लेती जान।

नरसिंह हैरान जौनपुरी मुंबई
7977641797

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6 Comments

जबरदस्त 👌👌

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Mukesh Duhan

25-Oct-2021 09:16 PM

Bhut sunder prastuti ji

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Sneh lata pandey

25-Oct-2021 08:30 PM

बहुत खूब

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